Posts

Showing posts from January, 2025

indian societies act 1860

  सोसायटीज़ रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 परिचय सोसायटीज़ रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 भारत में सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए बनाई गई संस्थाओं के पंजीकरण के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। सोसायटी क्या है? सोसायटी सात या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह है जो एक साझा उद्देश्य के लिए एक साथ काम करते हैं। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, या शैक्षिक उद्देश्यों के लिए काम करता है। सोसायटी पंजीकरण के लाभ सीमित देयता:  पंजीकृत सोसायटी के सदस्यों की व्यक्तिगत देयता सोसायटी की संपत्ति तक सीमित होती है। कर लाभ:  पंजीकृत सोसायटी को आयकर और अन्य करों में छूट प्राप्त हो सकती है। कानूनी मान्यता:  पंजीकृत सोसायटी को एक कानूनी इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। सरकारी अनुदान:  पंजीकृत सोसायटी सरकारी अनुदान और सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र हो सकती है। सोसायटी पंजीकरण की प्रक्रिया सोसायटी पंजीकरण की प्रक्रिया राज्य से राज्य में भिन्न होती है। आम तौर पर, निम्नलिखित दस्तावेजों को सोसायटी पंजीकरण के लिए प्रस्तुत करना होता है:...

indian trust act 1882

  सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट: इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 परिचय सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, जिसे लोकहितकारी न्यास भी कहा जाता है, एक गैर-लाभकारी संस्था है जो धर्मार्थ कार्यों के लिए बनाई जाती है। यह इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 द्वारा शासित होता है। इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 यह अधिनियम भारत में ट्रस्टों के निर्माण, संचालन और विघटन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह अधिनियम निम्नलिखित बातों को परिभाषित करता है: ट्रस्ट:  ट्रस्ट एक व्यवस्था है जिसमें एक व्यक्ति (सेटलर) संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति (ट्रस्टी) को हस्तांतरित करता है, जिसे उस संपत्ति का उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए लाभार्थियों के लाभ के लिए करना होता है। सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट:  यह एक ऐसा ट्रस्ट है जो धर्मार्थ कार्यों के लिए बनाया जाता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आदि। ट्रस्टी:  ट्रस्टी वह व्यक्ति है जो ट्रस्ट की संपत्ति का प्रबंधन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इसका उपयोग ट्रस्ट के उद्देश्यों के लिए किया जाए। लाभार्थी:  लाभार्थी वह व्यक्ति या समूह है जो ट्रस्ट से लाभान्वित हो...

optional clauses for a trust deed

  सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट विलेख में वैकल्पिक खंड (Optional Clauses): लचीलापन और विस्तार सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना करते समय, ट्रस्ट विलेख (deed) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो ट्रस्ट के उद्देश्य, संरचना और संचालन का निर्धारण करता है। हालांकि, ट्रस्ट विलेख में कुछ "आवश्यक" खंड होते हैं, लेकिन इसमें कुछ "वैकल्पिक" खंड भी शामिल किए जा सकते हैं जो ट्रस्ट को अधिक लचीलापन और विस्तार प्रदान करते हैं। आइए, ऐसे ही कुछ वैकल्पिक खंडों पर गौर करें: 1. प्रॉक्सी वोटिंग (Proxy Voting): यह खंड अनुपस्थित ट्रस्टियों को किसी अन्य सदस्य को प्रॉक्सी के रूप में नियुक्त करने की अनुमति देता है। प्रॉक्सी सदस्य की ओर से बैठकों में उपस्थित हो सकता है और मतदान कर सकता है। 2. कार्यकारी समिति (Executive Committee): यह खंड ट्रस्टियों के एक छोटे समूह को ट्रस्ट के दैनिक कार्यों का प्रबंधन करने के लिए "कार्यकारी समिति" के रूप में गठित करने का प्रावधान कर सकता है। 3. संशोधन खंड (Amendment Clause): यह खंड भविष्य में ट्रस्ट विलेख में संशोधन करने की प्रक्रिया को निर्धारित करता ह...