indian trust act 1882
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट: इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882
परिचय
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, जिसे लोकहितकारी न्यास भी कहा जाता है, एक गैर-लाभकारी संस्था है जो धर्मार्थ कार्यों के लिए बनाई जाती है। यह इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 द्वारा शासित होता है।
इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882
यह अधिनियम भारत में ट्रस्टों के निर्माण, संचालन और विघटन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह अधिनियम निम्नलिखित बातों को परिभाषित करता है:
- ट्रस्ट: ट्रस्ट एक व्यवस्था है जिसमें एक व्यक्ति (सेटलर) संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति (ट्रस्टी) को हस्तांतरित करता है, जिसे उस संपत्ति का उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए लाभार्थियों के लाभ के लिए करना होता है।
- सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट: यह एक ऐसा ट्रस्ट है जो धर्मार्थ कार्यों के लिए बनाया जाता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आदि।
- ट्रस्टी: ट्रस्टी वह व्यक्ति है जो ट्रस्ट की संपत्ति का प्रबंधन करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इसका उपयोग ट्रस्ट के उद्देश्यों के लिए किया जाए।
- लाभार्थी: लाभार्थी वह व्यक्ति या समूह है जो ट्रस्ट से लाभान्वित होता है।
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के लाभ
- कर लाभ: सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्टों को आयकर और अन्य करों से छूट प्राप्त होती है।
- सीमित देयता: ट्रस्टियों की व्यक्तिगत देयता ट्रस्ट की संपत्ति तक सीमित होती है।
- स्थायित्व: ट्रस्ट एक स्थायी इकाई है जो सेटलर की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में रह सकती है।
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट का पंजीकरण
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्टों को संबंधित राज्य सरकार के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है। पंजीकरण प्रक्रिया राज्य से राज्य में भिन्न होती है।
निष्कर्ष
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्टों के कुशल संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचा प्रदान करता है।
अतिरिक्त जानकारी
- इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882: [अमान्य यूआरएल हटाया गया]
- सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्टों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया: [अमान्य यूआरएल हटाया गया]
यह ब्लॉग पोस्ट केवल जानकारी के लिए है। यह कानूनी सलाह नहीं है। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया एक वकील से सलाह लें।
Comments
Post a Comment