taxation of registered trust
पंजीकृत ट्रस्ट का कराधान (Taxation of Registered Trust)
भारत में, सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट सामाजिक कल्याण के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये ट्रस्ट आमतौर पर दान और अनुदान से अपना संचालन करते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, इन ट्रस्टों को भी कर देनदारियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए, इस ब्लॉग पोस्ट में पंजीकृत ट्रस्टों के कराधान को समझें।
कब एक पंजीकृत ट्रस्ट कर योग्य होता है?
सामान्य तौर पर, एक पंजीकृत ट्रस्ट को आयकर से छूट प्राप्त होती है, बशर्ते वह आयकर अधिनियम, 1961 के तहत धारा 12A या 12AA के तहत पंजीकृत हो। ये धाराएं ट्रस्टों को कुछ शर्तों के अधीन आयकर छूट प्रदान करती हैं, जैसे कि:
- ट्रस्ट का उद्देश्य धार्मिक या धर्मार्थ प्रकृति का होना चाहिए।
- ट्रस्ट का आय का उपयोग उसके पंजीकृत उद्देश्यों के लिए होना चाहिए।
- ट्रस्ट को किसी भी व्यक्ति या संस्था को लाभांश या मुनाफे का वितरण नहीं करना चाहिए।
हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, पंजीकृत ट्रस्ट कर योग्य हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- वाणिज्यिक गतिविधियां: यदि ट्रस्ट व्यावसायिक गतिविधियों में संलग्न होता है और इससे लाभ कमाता है, तो उस लाभ पर कर लगेगा।
- अनुचित व्यय: यदि ट्रस्ट अपने पंजीकृत उद्देश्यों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए धन का उपयोग करता है, तो उस खर्च पर कर लग सकता है।
- निवेश आय: ट्रस्ट की निवेश आय, जैसे कि ब्याज, लाभांश या पूंजीगत लाभ, कुछ मामलों में कर योग्य हो सकती है।
ट्रस्टों के लिए कर दाख़िल करना:
भले ही ट्रस्ट को आयकर से छूट प्राप्त हो, फिर भी उसे आयकर विभाग के पास आयकर रिटर्न दाख़िल करना पड़ सकता है। रिटर्न दाख़िल करने की आवश्यकता ट्रस्ट की आय और व्यय की प्रकृति पर निर्भर करती है।
ध्यान देने योग्य बातें:
- यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है और किसी भी तरह से कर सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी पंजीकृत ट्रस्ट के कर दायित्वों के बारे में सटीक जानकारी के लिए, किसी कर सलाहकार से परामर्श करना उचित होगा।
- कर कानून जटिल और परिवर्तनशील होते हैं। इसलिए, नवीनतम जानकारी के लिए किसी कर सलाहकार या कर विभाग की वेबसाइट से संपर्क करना उचित है।
निष्कर्ष
पंजीकृत ट्रस्टों को आम तौर पर आयकर छूट प्राप्त होती है। हालांकि, कुछ अपवाद भी मौजूद हैं। ट्रस्ट के कर दायित्वों को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और किसी भी दंड से बचा जा सके।
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