compulsory clauses for trust deed format
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट विलेख में अनिवार्य खंड (Clauses)
सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना करते समय, एक ट्रस्ट विलेख (deed) तैयार करना आवश्यक होता है। यह विलेख ट्रस्ट के गठन, उद्देश्यों, प्रबंधन और संचालन का दस्तावेजी प्रमाण होता है। विलेख में कुछ अनिवार्य खंड होते हैं, जिनका समावेश ट्रस्ट के कानूनी वैधता और सुचारू कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक होता है। आइए, इन अनिवार्य खंडों को विस्तार से समझें:
1. ट्रस्ट का नाम और पंजीकृत पता:
- विलेख में स्पष्ट रूप से ट्रस्ट का नाम और उसका पंजीकृत पता उल्लेख किया जाना चाहिए।
2. ट्रस्ट के उद्देश्य:
- विलेख में ट्रस्ट के स्थापना के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से और विस्तार से वर्णित किया जाना चाहिए। उद्देश्य धर्मार्थ प्रकृति के होने चाहिए और किसी भी धार्मिक, सामाजिक या शैक्षणिक क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं।
3. ट्रस्टी (Trustees):
- विलेख में ट्रस्ट के प्रारंभिक ट्रस्टियों के नाम, पते और पदनामों का उल्लेख होना चाहिए। साथ ही, ट्रस्टियों की नियुक्ति, पदत्याग और हटाने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
4. लाभार्थी (Beneficiaries):
- विलेख में ट्रस्ट के लाभार्थियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए। लाभार्थी वे व्यक्ति या समूह होते हैं, जिनके हित के लिए ट्रस्ट स्थापित किया गया है।
5. ट्रस्ट संपत्ति (Trust Property):
- विलेख में ट्रस्ट की प्रारंभिक संपत्ति का विवरण, जैसे कि चल और अचल संपत्ति, दान आदि का उल्लेख होना चाहिए। साथ ही, ट्रस्ट संपत्ति के प्रबंधन और उपयोग के लिए दिशानिर्देश भी शामिल किए जाने चाहिए।
6. खाता रखरखाव और लेखा परीक्षा:
- विलेख में ट्रस्ट के खातों के रखरखाव और नियमित लेखा परीक्षा (audit) की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
7. बैठकें और मतदान (Voting):
- विलेख में ट्रस्टियों की बैठकें आयोजित करने की प्रक्रिया, बैठकों की आवृत्ति, गणपूर्ति (quorum) की आवश्यकता और मतदान प्रक्रिया का उल्लेख होना चाहिए।
8. विवाद निपटारा:
- विलेख में ट्रस्टियों या लाभार्थियों के बीच किसी भी विवाद के निपटारे के लिए प्रक्रिया निर्धारित की जानी चाहिए।
9. ट्रस्ट का विघटन (Dissolution):
- विलेख में, विशिष्ट परिस्थितियों में ट्रस्ट के विघटन की प्रक्रिया और ट्रस्ट संपत्ति के निपटान के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश शामिल किए जाने चाहिए।
10. संशोधन खंड (Amendment Clause):
- विलेख में यह उल्लेख करना आवश्यक होता है कि किन परिस्थितियों में और किस प्रक्रिया का पालन करके ट्रस्ट विलेख में संशोधन किया जा सकता है।
ध्यान दें: यह केवल एक सामान्य सूची है और विभिन्न राज्यों के धर्मार्थ कानूनों के अनुसार, ट्रस्ट विलेख में शामिल किए जाने वाले अनिवार्य खंडों में भिन्नता हो सकती है। किसी भी सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना करते समय एक योग्य वकील से परामर्श करना और विलेख को सावधानीपूर्वक तैयार करना उचित होता है।
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